खाने की बुरी आदतें: सेहत पर प्रभाव और उनका समाधान

Wrong Eating Habits and Their Solutions



जब खाने की बात आती है, तो हर किसी की अलग-अलग आदतें होती हैं।

कुछ लोग दिन में तीन बार खाना खाते हैं, जबकि कुछ लोग दिनभर में छोटे-छोटे नाश्ते और खाने को पसंद करते हैं।

साथ ही, हमारी दिनचर्या या हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी की मांगें भी हमारी खाने की आदतों पर असर डालती हैं।

हो सकता है आप दो नौकरियां करते हों और घर आकर बच्चों की देखभाल भी करते हों। शायद कुछ दिन आपका समय निश्चित हो, लेकिन दूसरे दिन अनिश्चित।

Bad Eating Habits

ये परिस्थितियां हमारे खाने के तरीके को प्रभावित करती हैं, और कभी-कभी हमें खाने की बुरी आदतें डाल देती हैं।

इनमें सोने से पहले खाना, खाना छोड़ना, जल्दी-जल्दी खाना, बिना सोचे-समझे खाना, या तनाव में खाना शामिल है।

आइए जानें कि ये आदतें आपकी सेहत को कैसे प्रभावित करती हैं और इन्हें कैसे सुधारा जा सकता है। और अंत में खाने की अच्छी आदतों के लिए कुछ टिप्स दिए गए है।

सोने से पहले खाना

सोने से ठीक पहले खाने से आपकी नींद प्रभावित हो सकती है और आप कम सो पाते हैं।
इससे वजन बढ़ सकता है, ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।

इसके बजाय ये करें:

  • सोने से 2-3 घंटे पहले खाना खाएं।
  • अगर आपका शेड्यूल ऐसा है कि आपको सोने के पास खाना बनाना पड़ता है, तो ऐसी रेसिपीज़ ढूंढें जिन्हें जल्दी से तैयार किया जा सके। जैसे कटे हुए सब्ज़ियां या पहले से पका हुआ फ्रोजन चावल का इस्तेमाल करने से खाना बनाने का समय कम हो सकता है।
  • अगर रात के खाने के बाद आपको फिर से भूख लगती है, तो हल्का स्नैक लें जैसे दही या कोई फल।
  • अगर सोने से 2-3 घंटे पहले पूरा खाना नहीं खा सकते और सोने के समय के करीब खाना पड़े, तो हल्का नाश्ता करें।

खाना छोड़ना

खाना छोड़ने से आपका ब्लड शुगर लेवल गिर सकता है और आपके मूड पर असर पड़ सकता है, मूड खराब हो सकता है।
आप थकान महसूस कर सकते हैं, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी हो सकती है, या चक्कर और चिड़चिड़ापन महसूस कर सकते हैं।

साथ ही, यह अगली बार अधिक खाने या मीठे और तैलीय खाने की लालसा को बढ़ा सकता है, और अगली बार खाने में ज्यादा खा सकते हैं, क्योंकि आपको बहुत भूख लगी होती है।

इसके बजाय ये करें:

  • जब रोज खाना बनाने का समय न हो, तो मील प्लानिंग मददगार हो सकती है।

    मील प्रेप करने के अलग-अलग तरीके हैं – इसे पूरे हफ्ते के लिए एक ही दिन में करना ज़रूरी नहीं है।

    आप अनाज और प्रोटीन बना सकते हैं, और हफ्ते में अलग-अलग मसाले डालकर स्वाद बदल सकते हैं।

    कटे हुए सब्ज़ियों या फ्रोजन सब्ज़ियों का इस्तेमाल करने से खाना बनाने का समय कम हो सकता है।
  • अगर पूरा खाना खाने का समय नहीं है, तो पौष्टिक सप्लीमेंट या दिनभर में कई पौष्टिक नाश्ते कर सकते हैं।

इनमें सेब और पीनट बटर, सब्जियां, स्ट्रिंग चीज़, उबला अंडा और गाजर, या दही और बेरीज शामिल हो सकते हैं।

जल्दी-जल्दी खाना

जल्दी खाने से यह समझना मुश्किल होता है कि आप कब पेट भर गए हैं।

इससे ज्यादा खाना, पाचन में दिक्कत, सीने में जलन और अनचाहा वजन बढ़ सकता है।

इसके बजाय ये करें:

  • छोटे चम्मच या कांटे का उपयोग करें और छोटे-छोटे निवाले लें और हर निवाले के बीच चम्मच/कांटा नीचे रखें।
  • जब संभव हो, दूसरों के साथ खाएं, शांत होकर बातचीत करते हुए खाने से धीरे खाने में मदद मिलती है।

बिना सोचे-समझे खाना

बिना सोचे-समझे खाने से ज्यादा खाने और वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है।

यह तनाव या किसी अन्य मानसिक बोझ का भी संकेत हो सकता है।

इसके बजाय ये करें:

  • एक निश्चित जगह पर खाएं, जैसे डाइनिंग टेबल पर, लेकिन टीवी के सामने नहीं।
  • खाने की खुशबू और स्वाद, इसकी दिखावट और खाते समय की अनुभूतियों पर ध्यान दें।
  • अगर आप चीजों को ट्रैक करना और तुलना करना पसंद करते हैं, तो लिखें कि क्या और कब खा रहे हैं।
    इससे आपको अपनी खाने की आदतों का पता चलेगा।
  • जब आप खाना खाएं, खुद से पूछें कि क्या आप सच में भूखे हैं या आदत या बोरियत से खा रहे हैं।

तनाव में खाना

तनाव में खाने से अक्सर ज्यादा और अस्वस्थ भोजन की ओर झुकाव होता है, जिसमें अधिक फॅट, चीनी या नमक होता है।

लंबे समय में, तनाव में खाने से डायबिटीज या दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

इसके बजाय ये करें:

  • अपने पास स्वस्थ स्नैक्स रखें, जैसे ताजे फल, गाजर और हुमस, या मेवे। जब भी खाने की इच्छा हो तो इनकी ओर हाथ बढ़ाएं।
  • नाश्ता करने से पहले, कुछ मिनट गहरी सांस लें। फिर सोचें कि क्या आप सच में भूखे हैं या तनाव की वजह से खाना चाहते हैं।
  • एक और तरीका है तनाव में खाने को कम करने का – पता करें कि क्या इसे ट्रिगर करता है (जैसे कोई खास स्थिति या भावनाएं)।

    फिर तनाव से निपटने के तरीके अपनाएं जैसे ध्यान लगाना, व्यायाम, या दोस्तों, परिवार या थेरेपिस्ट से बात करना।

जब आप अपनी खाने की आदतें बदलें, तो धैर्य रखें और खुद के साथ नरम रहें।

धीरे-धीरे बदलाव करने से एक साथ बहुत कुछ बदलने का तनाव कम होगा और रास्ते में रुकावटें भी कम आएंगी।

अगर रुकावट आए, तो इसका मतलब असफलता नहीं है। हर किसी का बदलाव का रास्ता अलग होता है।
हर किसी को अलग-अलग चुनौतियां आती हैं जिनके लिए अलग-अलग तरीके चाहिए।

अलग-अलग चीजें आजमाना अपने बारे में और जानने और क्या काम करता है यह समझने का अच्छा तरीका है।


स्वस्थ खाने के लिए टिप्स

धीरे-धीरे खाना चाहिए

जल्दी खाने से पेट भरा कब हुआ, यह पता नहीं चलता। इससे:

  • बहुत ज्यादा खा लेते हैं
  • पेट खराब हो सकता है
  • छाती में जलन होती है
  • वजन बढ़ जाता है

क्या करें:

  • छोटा चम्मच या कांटा इस्तेमाल करें
  • किसी के साथ बैठकर आराम से खाएं

टीवी देखते हुए और बिना सोचे न खाएं

टीवी देखते हुए खाने से:

  • ज़रूरत से ज्यादा खा लेते हैं
  • खाने का मज़ा नहीं आता
  • पेट में गड़बड़ हो सकती है

अच्छी आदतें:

  • डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाओ
  • खाने के स्वाद और खुशबू का मज़ा लो
  • खाने पर ध्यान दो

परेशानी में खाना

जब हम दुखी या परेशान होते हैं, तब अक्सर:

  • बहुत ज्यादा खा लेते हैं
  • चिप्स, चॉकलेट जैसी नुकसानदायक चीज़ें खाते हैं, जंक फूड ज्यादा खाते हैं
  • इससे डायबिटीज और दिल की बीमारी हो सकती है

क्या करें:

  • घर में स्वस्थ नाश्ता रखें (फल, गाजर, मेवे)
  • खाने से पहले गहरी सांस लें
  • सोचें – भूख लगी है या तनाव है?
  • तनाव कम करने के लिए:
    • योग करें
    • व्यायाम करें
    • परिवार-दोस्तों से बात करें

याद रखें:

  • धीरे-धीरे आदतें बदलें
  • जल्दबाजी न करें
  • अगर कभी पुरानी आदत लौट आए तो निराश न हों
  • हर व्यक्ति अलग है, अपना तरीका खोजें