स्पाइनल कॉर्ड क्या है?


स्पाइनल कॉर्ड क्या है?

स्पाइनल कॉर्ड, जिसे रीढ़ की हड्डी भी कहा जाता है, मस्तिष्क से शरीर के बाकी हिस्सों तक संदेशों को ले जाने और लाने वाली नसों का एक बंडल होता है।

यह मस्तिष्क का एक महत्वपूर्ण विस्तार है जो रीढ़ की हड्डी के अंदर स्थित होता है।

इसे मेरुदंड भी कहा जाता है और यह एक लंबी, नाजुक, नलिकाकार संरचना होती है जो मस्तिष्क के तने से शुरू होकर रीढ़ की हड्डी के नीचे तक चलती है।

स्पाइनल कॉर्ड के कार्य

स्पाइनल कॉर्ड, जो की नसों का एक बंडल होता है, मस्तिष्क से शेष शरीर तक संकेतों को ले जाता है और वापस लाता है।

सेंसरी जानकारी (संवेदी जानकारी)

संवेदनाओं को महसूस करना: स्पाइनल कॉर्ड त्वचा, मांसपेशियों और जोड़ों से मस्तिष्क तक संवेदी जानकारी ले जाता है। इसमें स्पर्श, तापमान, दर्द और दबाव जैसी जानकारी शामिल होती है।

मोटर जानकारी (मोटर नियंत्रण)

शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित करना: यह मस्तिष्क से मांसपेशियों को संकेत भेजता है, जो शरीर को गति प्रदान करते हैं।

स्पाइनल कॉर्ड मस्तिष्क से मांसपेशियों को निर्देश देता है, जिससे हम चल सकते हैं, दौड़ सकते हैं, अपनी बाहों और हाथों का उपयोग कर सकते हैं, और अन्य गतिविधियां कर सकते हैं।

स्वायत्त कार्य

स्वायत्त कार्यों को नियंत्रित करना: यह रक्तचाप, हृदय गति और पाचन जैसे स्वायत्त कार्यों को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।


स्पाइनल कॉर्ड के भाग

  • ग्रे मैटर: स्पाइनल कॉर्ड का केंद्र ग्रे मैटर से बना होता है, जिसमें तंत्रिका कोशिकाओं के शरीर होते हैं।
  • व्हाइट मैटर: ग्रे मैटर के बाहर व्हाइट मैटर होता है, जिसमें तंत्रिका तंतु होते हैं जो मस्तिष्क और शरीर के बाकी हिस्सों को जोड़ते हैं।

स्पाइनल कॉर्ड का संरचना

  • नस तंतु: यह तंत्रिका तंतुओं का एक बंडल होता है जो मस्तिष्क से शरीर के बाकी हिस्सों तक जाता है।
  • मायेलिन: यह एक सुरक्षात्मक आवरण होता है जो तंत्रिका तंतुओं को घेरता है और उन्हें तेजी से संकेत भेजने में मदद करता है।
  • ग्रे मैटर: यह स्पाइनल कॉर्ड के केंद्र में स्थित होता है और इसमें तंत्रिका कोशिकाओं के शरीर होते हैं।
  • सफेद पदार्थ: यह स्पाइनल कॉर्ड के बाहरी भाग में स्थित होता है और इसमें तंत्रिका तंतुओं के अक्षतंतु होते हैं।

स्पाइनल कॉर्ड के खंड:

  • स्पाइनल कॉर्ड को 31 खंडों में विभाजित किया जाता है, जो रीढ़ की हड्डी के 33 कशेरुकाओं के अनुरूप होते हैं। प्रत्येक खंड शरीर के एक विशिष्ट क्षेत्र से तंत्रिकाओं को प्राप्त करता है और नियंत्रित करता है।
  • रीढ़ की हड्डी 4 भागों में विभाजित होती है:
  • गर्दन (सर्वाइकल): इसमें 7 कशेरुक होते हैं जो गर्दन और सिर को गति प्रदान करते हैं।
  • छाती (थोरैसिक): इसमें 12 कशेरुक होते हैं जो पसलियों से जुड़ते हैं और फेफड़ों और हृदय की रक्षा करते हैं।
  • पीठ (लम्बर): इसमें 5 कशेरुक होते हैं जो शरीर को मोड़ने, झुकने और उठाने में मदद करते हैं।
  • श्रोणि (सैक्रल): इसमें 5 कशेरुक होते हैं जो श्रोणि और पैरों को सहारा देते हैं।

रीढ़ की हड्डी, जिसे मेरुदंड भी कहा जाता है, एक लंबी, नाजुक, नलिकाकार संरचना होती है जो मस्तिष्क के तने से शुरू होकर रीढ़ की हड्डी के नीचे तक चलती है। यह नसों का एक बंडल है जो मस्तिष्क और शरीर के बाकी हिस्सों के बीच संदेशों को ले जाता है।

रीढ़ की हड्डी के मुख्य कार्य:

  • शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित करना: रीढ़ की हड्डी मस्तिष्क से मांसपेशियों को संकेत भेजती है, जिससे वे चलने, दौड़ने, कूदने और अन्य गतिविधियों को करने में सक्षम होते हैं।
  • संवेदनाओं को महसूस करना: रीढ़ की हड्डी त्वचा, मांसपेशियों और जोड़ों से मस्तिष्क तक संवेदनाओं को ले जाती है, जैसे कि स्पर्श, दर्द, तापमान और proprioception (शरीर की स्थिति का ज्ञान)।
  • स्वायत्त कार्यों को नियंत्रित करना: रीढ़ की हड्डी हृदय गति, रक्तचाप, श्वसन और पाचन जैसे स्वायत्त कार्यों को नियंत्रित करने में भी मदद करती है।

रीढ़ की हड्डी की संरचना:

  • कशेरुका: रीढ़ की हड्डी 33 हड्डियों से बनी होती है जिन्हें कशेरुका कहा जाता है। ये कशेरुका एक दूसरे के ऊपर खड़ी होती हैं और रीढ़ की हड्डी के लिए एक सुरक्षात्मक नहर बनाती हैं।
  • मेरुदंडीय डिस्क: कशेरुकाओं के बीच रबरयुक्त डिस्क होती हैं जो रीढ़ की हड्डी को कुशन करती हैं और गति प्रदान करती हैं।
  • तंत्रिका तंतु: रीढ़ की हड्डी तंत्रिका तंतुओं का एक बंडल है जो मस्तिष्क और शरीर के बाकी हिस्सों के बीच संदेशों को ले जाता है।

रीढ़ की हड्डी की देखभाल

स्पाइनल कॉर्ड की चोट को रोकने के लिए, सुरक्षा सावधानियां बरतना महत्वपूर्ण है, जैसे कि सीट बेल्ट पहनना और खेल खेलते समय सुरक्षात्मक उपकरण पहनना। यदि आपको स्पाइनल कॉर्ड की चोट का संदेह है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है।

  • अच्छी मुद्रा बनाए रखें: बैठते, खड़े या चलते समय अपनी पीठ को सीधा रखें।
  • भारी वस्तुओं को उठाते समय अपनी पीठ को सीधा रखें: अपने पैरों से वजन उठाएं, अपनी पीठ से नहीं।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें: व्यायाम आपकी पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और रीढ़ की हड्डी को सहारा देने में मदद करता है।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें: अधिक वजन आपकी पीठ पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है।
  • धूम्रपान न करें: धूम्रपान रक्त प्रवाह को कम करता है और रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचा सकता है।

रीढ़ की हड्डी के रोग

  • रीढ़ की हड्डी की चोट: रीढ़ की हड्डी की चोटें रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचा सकती हैं और स्थायी विकलांगता या मृत्यु का कारण बन सकती हैं।
  • स्पाइनल स्टेनोसिस: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डी की नहर संकरी हो जाती है, जिससे रीढ़ की हड्डी और नसों पर दबाव पड़ता है।
  • डिस्क हर्नियेशन: यह तब होता है जब एक डिस्क अपनी जगह से बाहर निकल जाती है और रीढ़ की हड्डी पर दबाव डालती है।
  • स्कोलियोसिस: यह रीढ़ की हड्डी की एक विकृति है जिसमें रीढ़ की हड्डी एक तरफ झुक जाती है।

स्पाइनल कॉर्ड की चोट

स्पाइनल कॉर्ड की चोट गंभीर हो सकती है और स्थायी विकलांगता या मृत्यु का कारण बन सकती है। स्पाइनल कॉर्ड की चोट के कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:

  • दुर्घटनाएं: कार दुर्घटनाएं, गिरना, और खेल चोटें स्पाइनल कॉर्ड की चोट का सबसे आम कारण हैं।
  • बीमारियां: कुछ बीमारियां, जैसे कि गठिया और कैंसर, स्पाइनल कॉर्ड को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • संक्रमण: मेनिन्जाइटिस और एन्सेफलाइटिस जैसे संक्रमण स्पाइनल कॉर्ड को सूजन और क्षति पहुंचा सकते हैं।

स्पाइनल कॉर्ड की चोट गंभीर और जीवन बदलने वाली हो सकती है। यह चोट या बीमारी के कारण हो सकती है। स्पाइनल कॉर्ड की चोट के लक्षणों में शामिल हैं:

  • दर्द
  • सुन्नता
  • कमजोरी
  • गतिशीलता में कमी
  • मूत्राशय और आंत्र नियंत्रण की समस्या

स्पाइनल कॉर्ड की चोट का इलाज चोट की गंभीरता और स्थान पर निर्भर करता है। उपचार में दवा, भौतिक चिकित्सा और सर्जरी शामिल हो सकते हैं।

यह भी ध्यान रखें:

  • स्पाइनल कॉर्ड एक बहुत ही नाजुक अंग है।
  • रीढ़ की हड्डी की चोटों से बचने के लिए सावधानी बरतना महत्वपूर्ण है।
  • यदि आपको रीढ़ की हड्डी की चोट के लक्षण हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.