Sinusitis


साइनोसाइटिस क्या है?

साइनोसाइटिस में साइनस में सूजन आ जाती है। साइनोसाइटिस आमतौर पर वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण या एलर्जी के कारण होता है।

साइनस क्या है?

हमारी खोपड़ी में कुछ हवा से भरे स्थान (air-filled spaces) होते है। इन खोखले छिद्रों को अर्थात कैविटीज़ को साइनस कहते है, और यह सभी कैविटीज़ नाक में खुलती है।

ये खोखले छेद नाक के आसपास की हड्डियों में, गाल की हड्डियों में, आँखों के बीच के भाग में तथा माथे की हड्डी के पीछे रहते हैं, और नाक के अन्दर खुलते हैं।

स्वस्थ व्यक्ति के साइनस में कोई वायरस या बैक्टीरिया जैसे रोगाणु नहीं होते हैं, और इन साइनस में हवा भरी रहती है, जिससे ये हमारी सिर को हल्का बनाये रखने में मदद करते है।

क्योंकि साइनस नाक में खुलते है, इसलिए साइनस में बनने वाला थोड़ा सा भी बलगम नाक के रास्ते बाहर चला जाता है और साइनस हवा से भरे रहते है।

किन्तु साइनोसाइटिस में संक्रमण या एलर्जी की वजह से साइनस की अंदर की लाइनिंग (अंदरूनी सतह अर्थात झिल्ली) में सूजन आ जाती है, और साइनस का नाक में खुलने वाला मार्ग अवरुद्ध हो जाता है, बंद हो जाता है। जिसकी वजह से साइनस में बलगम भर जाता है।

साइनोसाइटिस के लक्षण क्या है?

  • सिर और चेहरे में दर्द, भारीपन और दबाव मह्सूस होना
  • नाक में से पानी निकलना, नाक बहना
  • नाक से पीला या हरे रंग का कफ निकलना
  • सांस लेने में तकलीफ होना, सांसों की बदबू
  • बुखार
  • दांतों में दर्द
  • आंखों के ठीक ऊपर दर्द और आंख में से पानी निकलना
  • कान में दर्द होना
  • कोई गंध न आना, सूंघने और स्वाद की शक्ति कमजोर होना
  • साइनस की जगह दबाने पर दर्द होना
  • चेहरे पर सूजन का आ जाना
  • आवाज में बदलाव
  • छींके आना

साइनोसाइटिस कितने दिनों तक रहता है?

साइनोसाइटिस की अवधि के आधार पर इसे तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है?

Acute Sinusitis (तीव्र साइनसाइटिस)
Subacute Sinusitis और
Chronic Sinusitis (क्रोनिक साइनोसाइटिस)

Acute Sinusitis (तीव्र साइनसाइटिस) – जब साइनोसाइटिस 2 से 4 हफ़्तों तक रहता है, तब उसे एक्यूट साइनोसाइटिस कहते है। यह सबसे आम प्रकार का साइनोसाइटिस है।

Subacute Sinusitis – जब साइनोसाइटिस के लक्षण 4 से 12 सप्ताह तक रहते है, तब उसे subacute साइनोसाइटिस कहते है।

क्रोनिक साइनोसाइटिस – यदि साइनोसाइटिस के लक्षण 12 सप्ताह के बाद भी बने रहते हैं, तो उसे क्रोनिक साइनोसाइटिस कहते है।

साइनोसाइटिस का निदान कैसे किया जाता है?

मरीज के लक्षण और शारीरिक जांच के आधार पर चिकित्सक साइनोसाइटिस का निदान करते है।

साइनस कौन कौन से है?

  1. Maxillary sinus – मैक्सिलेरी साइनस – दोनो तरफ के चेहरे की हड्डी में, चीकबोन्स में
  2. Frontal sinus – फ्रंटल साइनस – नाक के ऊपर माथे में, आइब्रो के ठीक ऊपर
  3. Ethmoid sinus – एथमोइड साइनस – आँखो के पास, नाक की गुहा के दोनों ओर तथा
  4. Sphenoidal sinus – स्फेनॉइडल साइनस – एथेमॉइड साइनस के पीछे, पिछले हिस्से में बीचोंबीच दिमाग़ से सटा