फेफड़े – Lungs – लंग्स क्या है? जानिये प्रश्न उत्तर से


लंग यानी की फेफड़ा क्या है?

फेफड़े अर्थात लंग्स,
छाती में अंगों की एक जोड़ी है,
जो शरीर को ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है,
और शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड को
बाहर निकालता है, हटाता है।

फेफड़े श्वसन प्रणाली के मुख्य अंग हैं।


शरीर में कितने फेफड़े रहते है?

हमारे शरीर में दो फेफड़े होते हैं,
एक बायां फेफड़ा और
एक दायां फेफड़ा।


फेफड़े शरीर में कहा स्थित होते है?

आपके फेफड़े आपकी छाती के अंदर,
हृदय के दोनों तरफ स्थित होते हैं।

फेफड़े मीडियास्टिनम द्वारा अलग किए जाते हैं, यानी की
फेफड़े मीडियास्टिनम के दोनों ओर स्थित होते हैं।

मीडियास्टिनम छाती के बीच के क्षेत्र को कहते है
और इस क्षेत्र में हृदय, श्वासनली,
अन्नप्रणाली और कई लिम्फ नोड्स होते हैं।


क्या दोनों फेफड़े एक जैसे होते है?

नहीं,
बायां फेफड़ा थोड़ा छोटा होता है
क्योंकि बाएं फेफड़े में हृदय के लिए
एक खाली जगह बनी रहती है।

प्रत्येक फेफड़े को
लोब में विभाजित किया जाता है –

दाहिने फेफड़े में तीन लोब होते हैं
और बाएं फेफड़े से थोड़ा बड़ा होता है,
जिसमें दो लोब होते हैं।


फेफड़ों का मुख्य कार्य क्या है?

फेफड़ों का मुख्य कार्य
गैस एक्सचेंज यानी की
गैस विनिमय (गैस के आदान प्रदान ) की प्रक्रिया है,
जिसे श्वसन (या श्वास प्रश्वास) कहा जाता है।

फेफड़ों के स्तर पर ही,
हम जो हवा नाक से भीतर लेते है,
उसमे से ऑक्सीजन रक्त में प्रवेश करता है
और
रक्त में स्थित कार्बन डाइऑक्साइड लंग में जाता है,
जिसे हम प्रश्वास के जरिये बाहर निकाल देते है।

शरीर में तैयार होने वाला कार्बन डाइऑक्साइड
शरीर के लिए हानिकारक होता है,
और इसे बाहर निकालना बहुत जरूरी होता है,
जिससे की शरीर स्वस्थ रह सके।

और यह काम सिर्फ फेफड़े ही कर सकते है।

फेफड़ों के कार्य में कमी का मतलब है कि
फेफड़ों की हवा का आदान-प्रदान करने की क्षमता में कमी हो जाना, और बीमारियों की शुरुआत।


फेफड़ो का वज़न कितना होता है?

सामान्य वयस्क में, लंग्स का वजन
लगभग 1 किलो (900 ग्राम से 1300 ग्राम तक) रहता है।

जैसा की हमने पहले देखा की
दायां फेफड़ा बाएं फेफड़े से बड़ा रहता है।

इसलिए, दाएं फेफड़े का वजन बाएं फेफड़े से
करीब करीब 10% ज्यादा रहता है।

दाहिना फेफड़े का वजन 450 ग्राम (रेंज, 185-967 ग्राम)
और बाएं फेफड़े का वजन 400 ग्राम (रेंज, 186-885 ग्राम)
– Am J Forensic Med Pathol. 2012 Dec;33(4):368-72