अस्थमा – Asthma – दमा


1. अस्थमा क्या है?

Asthma – Introduction

अस्थमा या दमा, एक क्रॉनिक अर्थात दीर्घकालिक या लंबे समय तक रहने वाली फेफड़ों से संबंधित, स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें सांस लेने में तकलीफ और खांसी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।


2. अस्थमा अटैक क्या है?

अस्थमा और अस्थमा अटैक में क्या फर्क है?

अस्थमा लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है, जिसमें बीच-बीच में, किसी खास स्थिति में या कुछ चीजों के संपर्क में आने से, लक्षण बढ़ जाते हैं, उसे अस्थमा का अटैक कहते हैं।

उन स्थितियों और चीजों के बारे में हम, अस्थमा के ट्रिगर्स के सेक्शन में विस्तार से देखेंगे।

अस्थमा का अटैक कितनी देर तक रह सकता है?

अस्थमा अटैक, कुछ मिनटों से लेकर, घंटों तक का हो सकता है।

अस्थमा का अटैक कितनी बार आता है, और कितनी देर तक रहता है, यह अस्थमा कितना गंभीर है, इस बात पर निर्भर करता है।

अस्थमा अटैक के तुरंत उपचार के लिए, जो इनहेलर और दवाइयां दी जाती है, उसके बारे में अस्थमा के उपचार में दिया गया है।


3. अस्थमा में फेफड़ों में क्या हो जाता है?

अस्थमा में, फेफड़ों में स्थित, छोटी-छोटी श्वास नलियाँ, सिकुड़ जाती है, संकुचित हो जाती है, उनमें सूजन आ जाती है और उनमें अधिक मात्रा में, म्यूकस अर्थात बलगम, तैयार होने लगता है।


4. छोटी-छोटी श्वास नलियों में इन बदलाव की वजह से क्या होता है?

हम जब श्वास लेते हैं, तब हवा नाक, गले और छाती की ट्रेकिआ से होती हुई, इन छोटी-छोटी श्वास नलियों से होकर ही, अंत में, फेफड़ों के वायुकोषों तक पहुंचती है।

जैसा की नीचे के चित्र में दिखाया गया है की, श्वास नालियों के अंत में, वायुकोष रहते है –

इसलिए, जब अस्थमा में, इन छोटी श्वास नलियों में, संकुचन हो जाता है, तो सही मात्रा में, फेफड़ों तक, हवा नहीं पहुंच पाती है।

श्वास नलियों में संकुचन, सूजन और अधिक मात्रा में म्यूकस तैयार होने की वजह से, अस्थमा के लक्षण, दिखाई देने लगते हैं।

श्वास नलियों और वायुकोषों के बारे में विस्तार से हम बाद में देखेंगे।


5. अस्थमा के लक्षण क्या है?

Symptoms of Asthma

अस्थमा के लक्षण है –

  • श्वास लेने में तकलीफ होना
  • श्वास की कमी महसूस होना, हांफना या दम फूलना
  • श्वास छोड़ते समय सीटी जैसी या घरघराट जैसी आवाज होना। यह लक्षण बच्चों में अधिक पाया जाता है।
  • खांसी
  • छाती में अकड़न और या दर्द महसूस होना
  • अस्थमा के लक्षणों की वजह से रात में,
  • नींद आने में तकलीफ होती है और
  • नींद भी डिस्टर्ब हो जाती है
  • रेस्पिरेट्री सिस्टम के इंफेक्शन,
  • जैसे कि सर्दी खासी या
  • फ्लू की वजह से,
  • अस्थमा के लक्षण बढ़ जाते हैं।

6. क्या अस्थमा के लक्षण सभी मरीजों में एक जैसे रहते हैं?

अस्थमा के लक्षण, अलग-अलग मरीजों में, अलग-अलग हो सकते हैं।

कुछ मरीजों में, अस्थमा एक मामूली सी बीमारी तक ही सीमित रहता है और इसके कभी-कभार ही लक्षण आते हैं।

तो कुछ मरीजों में, इसके लक्षण बार-बार आते है, जिसकी वजह से रोज़मर्रा के कामों में भी, बाधाएं उत्पन्न होने लगती है।

कुछ मरीजों में, किसी खास समय, जैसे कि व्यायाम करते समय लक्षण शू हो जाते है।

तो, कभी-कभी किसी मरीज़ में, गंभीर अस्थमा का अटैक भी आ सकता है, जो कि जानलेवा भी हो सकता है।


7. क्या अस्थमा, पूरी तरह से ठीक हो सकता है?

अस्थमा पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता, किंतु कुछ सावधानियां बरतने से और सही प्रकार के उपचार से इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है।

अस्थमा के सही ट्रीटमेंट से बीच-बीच में, जो अस्थमा के अटैक आते हैं, जो कि ज्यादा तकलीफ दायक होते हैं, उनसे बचा जा सकता है।

अस्थमा के उपचार और उसके लिए जो सावधानियां बरतनी चाहिए उसके बारे में विस्तार से हम अस्थमा का उपचार कैसे किया जाता है, इस सेक्शन में देखेंगे।


8. अस्थमा का उपचार कैसे किया जाता है?

अस्थमा के उपचार को दो भागों में विभाजित किया जाता है –

1. अस्थमा का तुरंत उपचार

पहला अस्थमा का तुरंत उपचार अर्थात जब अस्थमा के लक्षण शुरू हो जाते हैं, यानी कि जब अस्थमा का अटैक आने लगता है या शुरू हो जाता है, तब किया जाने वाला उपचार, जिससे कि उसके लक्षणों से तुरंत राहत मिल सके।

2. अस्थमा का लंबे समय का उपचार – दीर्घकालिक उपचार योजना

और दूसरा, लंबे समय तक किया जाने वाला अस्थमा का उपचार जिसमें आता है –

  • अस्थमा के अटैक की फ्रीक्वेंसी को और गंभीरता को कम करने के लिए दवाइयों का उपयोग।
  • अस्थमा के ट्रिगर्स को पहचानना और उनकी जानकारी रखना और जितना संभव हो सके, उन ट्रिगर्स से बच कर रहना, जिससे कि अस्थमा के लक्षण शुरू ना हो।

पहले हम अस्थमा का किस प्रकार तुरंत उपचार किया जाता है वह देखेंगे, और उसके बाद में अस्थमा के लंबे समय तक के उपचार के बारे में देखेंगे।


अस्थमा के लक्षणों से राहत के लिए तुरंत उपचार

अस्थमा के लक्षणों में त्वरित राहत के लिए ब्रोंकोडाइलेटर्स नामक दवा का उपयोग किया जाता है।

यह दवा वायु मार्ग की मांसपेशियों में अस्थमा में जो संकुचन पैदा होता है, उसे कम कर देती है। जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने में जो तकलीफ हो रही थी, वह दूर हो जाती है, और वह सामान्य प्रकार से श्वास ले सकता है।

जो ब्रोंकोडाईलेटर्स आमतौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं वो है, शॉर्ट-एक्टिंग बीटा 2-एगोनिस्ट, जैसे कि अलबूटेरोल।

अस्थमा के अटैक के समय क्या करें?

यदि आपको लगता है कि आपको दमा का अटैक शुरू हो रहा है, तो सीधा बैठे। डॉक्टर ने तुरंत उपचार के लिए जो इनहेलर दिया है, उससे दो से चार पफ पहले।

यदि 20 मिनट के बाद भी लक्षण बने रहते हैं, तो फिर से इनहेलर का प्रयोग करें।

और उसके बाद भी यदि आराम नहीं मिलता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।


अस्थमा का लॉन्ग टर्म ट्रीटमेंट मतलब लंबे समय का उपचार


9. अस्थमा का रोग गंभीर हो रहा है, यह कैसे समझे?

निम्नलिखित बातें यह दर्शाती है कि, अस्थमा का रोग गंभीर हो रहा है –

  • अस्थमा के लक्षण बार-बार आना और ज्यादा तकलीफ दायक होना,
  • सांस लेने में दिक्कत की समस्या का बढ़ते जाना,
  • अस्थमा के अटैक के समय, तुरंत उपचार के लिए, जो इनहेलर दिया गया है, उसे बार-बार इस्तेमाल करना पड़ रहा हो।
  • यदि आपके पास पीक फ्लो मीटर है, तो उससे यह पता चलना कि, आपके फेफड़ों की क्षमता कम हो रही है।

यदि ऐसा लगे कि अस्थमा का रोग गंभीर हो रहा है,

तो खुद होकर, दवाइयों की मात्रा ना बढाए।

डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि उपचार में बदलाव किया जा सके।


अस्थमा के कारण, दुष्परिणाम और उसका निदान

अगले लेख में हम देखेंगे

  • अस्थमा का डायग्नोसिस अर्थात निदान कैसे किया जाता है?,
  • अस्थमा क्यों होता है?
  • अस्थमा के ट्रिगर फैक्टर्स कौन से है, मतलब अस्थमा कौस सी चीजों से बढ़ता है?
  • अस्थमा की वजह से शरीर में और क्या समस्याएं उतपनां हो सकती है?