गैस्ट्राइटिस क्या है?
Gastritis – गैस्ट्राइटिस – सारांश
गैस्ट्राइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें स्टमक के अंदर की लाइनिंग पर सूजन आ जाती है, जिससे पेट में जलन और जी मिचलाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
आमतौर पर गैस्ट्राइटिस में सूजन इंफेक्शन की वजह से आती है, और इस इंफेक्शन का कारण वही बैक्टीरिया होता है, जो स्टमक में अल्सर भी करता है।
नियमित या अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाइयों के उपयोग से और शराब के अधिक सेवन से भी गैस्ट्राइटिस हो सकता है।
गैस्ट्राइटिस एक्यूट हो सकता है या क्रॉनिक हो सकता है। एक्यूट गैस्ट्राइटिस में सूजन अचानक आ जाती है और क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस में यह धीरे-धीरे आती है।
कुछ मरीजों में गैस्ट्राइटिस की वजह से स्टमक में अल्सर बन जाता है, और उपचार न किए जाने पर इससे स्टमक में कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। लेकिन अधिकांश मरीजों में गैस्ट्राइटिस इलाज से ठीक हो जाता है।
गैस्ट्राइटिस के लक्षण क्या है?
- पेट के ऊपरी हिस्से में जलन होना। पेट में जलन भोजन के पश्चात बढ़ जाती है या कम हो जाती है।
- जी मिचलाना
- उल्टी होना
- पेट के ऊपरी भाग में भोजन करने के बाद भारीपन महसूस होना।
डॉक्टर से कब संपर्क करें?
पेट में जलन होना और अपचन होना एक आम समस्या है, और हर एक व्यक्ति को कभी ना कभी यह समस्या हो जाती है। किंतु अधिकांश लोगों में यह समस्या कुछ समय के लिए रहती है, और बिना दवा के ठीक हो जाती है।
यदि गैस्ट्राइटिस के ऊपर दिए गए लक्षण जैसे कि जी मिचलाना, उल्टी होना, पेट में जलन होना आदि, एक हफ्ते से अधिक समय तक रहते हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
यदि दर्द निवारक दवाइयाँ ले रहे हो, तो डॉक्टर को उन दवाइयों के बारे में जरूर बताएं।
यदि उल्टी में रक्त दिखाई दे, लैट्रिन में खून दिखाई दे या फिर लैट्रिन काली हो रही हो, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, क्योंकि यह लक्षण इस बात के संकेत है कि, गैस्ट्राइटिस या गैस्ट्रिक अल्सर की वजह से पेट में ब्लीडिंग अर्थात रक्त स्त्राव हो रहा है।
गैस्ट्राइटिस के कारण क्या है?
गैस्ट्राइटिस में स्टमक की अंदर की लाइनिंग पर सूजन आ जाती है।
हमारा पाचन तंत्र अर्थात डाइजेस्टिव सिस्टम मुंह से लेकर anus (मलद्वार) तक एक नली की तरह होता है। स्टमक, इसोफागस और इंटेस्टाइन के बीच के हिस्से को कहते हैं।
स्टमक में पाचक रस रहता है, जिसमें तेज हाइड्रोक्लोरिक एसिड रहता है। यह हाइड्रोक्लोरिक एसिड भोजन पचाने के लिए आवश्यक होता है। यह एसिड स्टमक की अंदर की लाइनिंग को नुकसान भी पहुंचा सकता है।
इसलिए स्टमक की अंदर की लाइनिंग के ऊपर एक म्यूकस की परत रहती है। यह म्यूकस की लेयर, स्टमक की अंदर की लाइनिंग को एसिड से बचाती है।
लेकिन यदि किसी कारणवश म्यूकस की लेयर खराब हो जाए या कमजोर हो जाए, तो हाइड्रोक्लोरिक एसिड स्टमक की अंदर की लाइनिंग को नुकसान पहुंचा सकता है।
गैस्ट्राइटिस के जोखिम कारक तत्व क्या है?
H. pylori बैक्टीरिया का संक्रमण
एच पाइलोरी बैक्टीरिया का संक्रमण एक आम संक्रमण है। लेकिन इसकी वजह से कुछ ही लोगों में गैस्ट्राइटिस या पेट से संबंधित बीमारियां होती है।
जीवन शैली से संबंधित बातें जैसे कि सिगरेट पीना, अस्वास्थ्यकारी आहार और अनुवांशिक कारणों से एच पाइलोरी की वजह से गैस्ट्राइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
दर्द निवारक गोलियां
आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले वाली दर्द निवारक गोलियों से, जैसे कि एस्प्रिन और ब्रूफेन से, एक्यूट और क्रॉनिक, दोनों प्रकार के गैस्ट्राइटिस हो सकते हैं।
नियमित रूप से या अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाइयों के कारण स्टमक की अंदर की जो रक्षात्मक म्यूकस की लेयर रहती है वह कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह से गैस्ट्राइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
अधिक उम्र
अधिक उम्र के व्यक्तियों में गैस्ट्राइटिस की संभावना अधिक रहती है। क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ स्टमक के अंदर की लाइनिंग कमजोर होती जाती है, और एच पाइलोरी बैक्टीरिया के संक्रमण की संभावना भी बढ़ जाती है।
शराब का सेवन
अधिक शराब के सेवन से स्टमक की अंदर की लाइनिंग को नुकसान पहुंचता है, जिससे स्टमक के अंदर स्थित डाइजेस्टिव रस के कारण गैस्ट्राइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
अधिक मात्रा में शराब के सेवन से एक्यूट गैस्ट्राइटिस हो सकता है।
तनाव की स्थिति में भी गैस्ट्राइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
तनाव की स्थिति जैसे कि बड़ी सर्जरी के बाद, चोट, जलने या तीव्र इंफेक्शन के बाद में होने वाले तनाव के कारण भी एक्यूट गैस्ट्राइटिस हो सकता है।
ऑटोइम्यून गैस्ट्राइटिस
ऑटोइम्यून गैस्ट्राइटिस में शरीर का इम्यून सिस्टम स्टमक के अंदर की म्यूकस की जो रक्षात्मक लेयर रहती है उसे नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।
जिसकी वजह से स्टमक में मौजूद एसिड, स्टमक की अंदर की लाइनिंग के संपर्क में आ जाता है, और पेट के अंदर की सतह पर सूजन आ जाती है।
ऑटोइम्यून गैस्ट्राइटिस उन मरीजों में अधिक पाया जाता है जिनमें दूसरी कोई ऑटोइम्यून बीमारी रहती है, जैसे कि टाइप वन डायबिटीज या हाशिमोतो रोग।
ऑटोइम्यून गैस्ट्राइटिस विटामिन B12 की कमी के साथ हो सकता है।
दूसरी बीमारियों के कारण गैस्ट्राइटिस
गैस्ट्राइटिस कभी-कभी दूसरी बीमारियों में भी हो सकता है जैसे कि एचआईवी पैरासाइट का संक्रमण और क्रोहन डिजीज।
गैस्ट्राइटिस के कॉम्प्लिकेशंस क्या है?
यदि गैस्ट्राइटिस का उपचार नहीं किया गया तो इसकी वजह से स्टमक में अल्सर और स्टमक में रक्तस्त्राव हो सकता है।
कभी क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस की वजह से स्टमक में कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है, खास तौर पर जब स्टमक की अंदर की परत काफी पतली हो जाती है और सेल्स में बहुत ज्यादा बदलाव आ जाता है।
यदि गैस्ट्राइटिस के उपचार के बाद लक्षणों में कमी ना आए, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
गैस्ट्राइटिस से कैसे बचे?
एच पाइलोरी इन्फेक्शन से बचाव।
एच पाइलोरी इंफेक्शन किस प्रकार फैलता है यह पूरी तरह से अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है किंतु, अध्ययनों से यह पता चला है कि दूषित खाने और पानी से यह एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य तक पहुंचता है।
इस एच पाइलोरी इन्फेक्शन से बचाव के लिए भोजन के पहले अच्छी तरह हाथ धो लेना चाहिए और खाना अच्छी तरह से पका कर ही खाना चाहिए।
गैस्ट्राइटिस का निदान कैसे किया जाता है?
मरीज के लक्षण और शारीरिक परीक्षण के आधार पर गैस्ट्राइटिस का निदान हो जाता है। लेकिन निदान की पुष्टि के लिए डॉक्टर कुछ अन्य जांच के लिए भी कह सकते हैं जैसे कि,
एच पाइलोरी की जांच
इस जांच में यह पता चलता है कि मरीज में एच पाइलोरी का संक्रमण है या नहीं।
एंडोस्कोपी से पेट की जांच
एंडोस्कोप एक लचीली ट्यूब जैसा होता है जिसके एक सिरे पर लेंस लगा रहता है। इस जांच में एंडोस्कोपी की ट्यूब मरीज के मुंह से डालकर पेट तक पहुंचाते हैं और फिर लेंस की सहायता से पेट के अंदर की सतह की जांच करते हैं। एंडोस्कोपी की सहायता से यदि पेट के अंदर सूजन हो तो वह दिख जाती है।
कभी-कभी डॉक्टर एंडोस्कोपी की सहायता से स्टमक के अंदर की बायोप्सी भी करते हैं अर्थात पेट के अंदर की लेयर का छोटा सा टिशु निकाल लेते हैं, जिसे जांच के लिए भेजा जाता है। बायोप्सी से एच पाइलोरी इन्फेक्शन का भी पता चल जाता है।
पेट के ऊपरी हिस्से का एक्स-रे और बेरियम से जांच
बेरियम एक लिक्विड रहता है जिसे मरीज को पीने के लिए देते हैं और उसके बाद पेट के ऊपरी हिस्से का एक्सरे किया जाता है। बेरियम से पेट के अंदर अल्सर या अन्य प्रकार के बदलाव दिख जाते हैं।
गैस्ट्राइटिस का उपचार कैसे किया जाता है?
गैस्ट्राइटिस का उपचार उसके कारणों पर आधारित होता है।
यदि एक्यूट गैस्ट्राइटिस दर्द निवारक दवाइयों से या शराब के सेवन से हो रहा हो, तो उन्हें रोकने से गैस्ट्राइटिस में आराम मिल जाता है।
गैस्ट्राइटिस के उपचार के लिए नीचे दी गई दवाइयां भी दी जा सकती है।
एंटासिड
जैसा कि हमने देखा स्टमक के पाचक रस में एक एसिड रहता है, जो कि भोजन पचाने के लिए आवश्यक होता है।
लेकिन ऊपर दिए गए जोखिम कारक कारणों की वजह से, इसी एसिड के कारण, गैस्ट्राइटिस या पेट में जलन जैसी बीमारियां भी हो जाती है।
एंटासिड, (जैसे की gelucil, digene) स्टमक में स्थित एसिड को निष्क्रिय कर देता है, जिससे पेट में जलन की तकलीफ से जल्द राहत मिल जाती है।
स्टमक में एसिड का उत्पादन कम करने के लिए दवाइयां
स्टमक की लेयर्स में कुछ ऐसे सेल्स होते हैं जो एसिड बनाते हैं। गैस्ट्राइटिस में ऐसी दवाइयां दी जाती है, जो इन सेल्स पर प्रभाव डालती है और एसिड उत्पादन की मात्रा कम कर देती है।
ये दवाइयां है प्रोटॉन पंप इनहिबिटर और H2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स।
प्रोटॉन पंप इनहिबिटर है – omeprazole, pantoprazole, lansoprazole, rabeprazole, esomeprazole और dexlansoprazole।
H2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स है – ranitidine, famotidine, cimetidine और nizatidine।
एच पाइलोरी इन्फेक्शन के लिए एंटीबायोटिक
पेट के एच पाइलोरी इन्फेक्शन के लिए कुछ एंटीबायोटिक्स दी जाती है, जैसे कि
clarithromycin, amoxicillin और metronidazole। एच पाइलोरी इन्फेक्शन के उपचार के लिए एंटीबायोटिक 7 से 14 दिनों के लिए देना पड़ता है।
गैस्ट्राइटिस के उपचार के लिए जीवन शैली में बदलाव
जीवन शैली में बदलाव करके गैस्ट्राइटिस के लक्षणों को कुछ कम किया जा सकता है, जैसे कि –
एक समय पर अधिक भोजन ना करें
जब हम भोजन करते हैं तो स्टमक में एसिड बनता है। यदि स्टमक में एसिड की मात्रा अधिक हो तो गैस्ट्राइटिस में काफी तकलीफ होती है। इसलिए गैस्ट्राइटिस में एक समय पर अधिक भोजन ना करें, बल्कि दिन भर में थोड़े थोड़े समय के अंतराल पर थोड़ा थोड़ा भोजन करें।
तले हुए और तीखे पदार्थ ना खाए
यदि आपको गैस्ट्राइटिस है, तो तीखे, तले हुए पदार्थ, अधिक मिर्ची वाला भोजन ना करें।
शराब का सेवन ना करें
गैस्ट्राइटिस में अल्कोहल स्टमक की लाइनिंग को नुकसान पहुंचाता है, इसलिए शराब का सेवन ना करें।
दर्द निवारक गोलियां
यदि दर्द निवारक गोलियों से पेट में जलन हो रही हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। आपके चिकित्सक आपको दर्द निवारक गोलियां बदल कर दे सकते हैं।