Blood Circulation – रक्त-संचार


हमारा रक्त शरीर के अंग अंग में बराबर ही चक्कर लगाया करता है। रक्त की इस क्रिया को रक्त-संचार (रक्तपरिभ्रमण, blood circulation) कहते है।

इस लेख में हम देखेंगे की – रक्त किस तरह अपना दौरा करता है? कहाँ से और कैसे वह चलता है? किन रास्तो से जाता है और किन रास्तो से वापस आता है?

रक्त का संचार दिल (हृदय, heart) से शुरू होता है। दिल सिकुड़ कर रक्त को अपने बाहर निकालता है और रक्त खास नलियों से होकर शरीर में जाता है।

रक्त नालियों द्वारा, जिन्हे artery अर्थात धमनी कहते है, रक्त, शरीर के अंगो की कोशिकाओं तक (body cells तक) पहुंचता है।

रक्त उन कोशिकाओं को पोषक पदार्थ देता है और उनके विकारो को (अनावश्यक और हानिकारक पदार्थ) लेकर दूसरी रक्त नालियों से, जिन्हे veins अर्थात शिरा कहते है, ह्रदय की और वापस आता है।

धमनी (artery, arteries) क्या है?

जब रक्त ह्रदय से निकलता है तब वह शुद्ध और पोषक पदार्थों से लदा होता है। यह शुद्ध रक्त लाल होता है और उन नलियो से होकर जाता है, जिन्हें धमनियाँ (artery, arteries) कहते है।

केशिका (capillary, capillaries) क्या है?

धमनियों की बहुत सी बड़ी-छोटी शाखाएं होती है। सब शाखाओं से होता हुआ रक्त बाल जैसी पतली-पतली नलियो में फैल जाता है। इन पतली नलियों को केशिकाएं (capillaries) कहते है। इन्हीं बारीक नलियों के सहारे रक्त अग-प्रत्यंग में पहुँचाता है और शरीर के हर अंग को (तन्तुओं को) पोषक पदार्थ देता हैं।

शिरा (vein, veins) क्या है?

तन्तुओं को पोषक पदार्थ देने के बाद जब वह उनके विकारों को ले लेता है तब वह मैले लाल रंग का हो जाता है और शिराओं (veins) से हो कर दिल मे वापस आता है। Veins वे नलियाँ है, जो केशिकाओं के मिलने से बनती है।

शरीर के कोशिकाओं (सेल्स) में क्या होता है?

शरीर कि कोशिकाये (cells) लगातार काम करती रहती है, तथा इस तरह काम करनेकी अवस्थामें वे सदा टूटती फूटती भी रहती हैं। इनके फूटनेके समय अनेक तरहकी रासायनिक क्रियायें होती है, जिनसे शरीरके भीतर अनेक तरहके पदार्थ बनते है। इनमेंसे बहुतसे पदार्थ तो ऐसे होते है जिनकी शरीरमें रहनेकी कोई आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि यदि वे अधिक काल तक शरीरमें रहे तो अनेक प्रकारसे शरीरको हानि पहुंचती है। इसलिये शरीरसे उनका निकल जाना अत्यन्त आवश्यक है।

ये अनावश्यक और हानिकारक पदार्थ कोशिकाओं से निकलकर रक्त में जाते हैं। रक्त इन अनावश्यक पदार्थो को उन अंगो तक पहुंचाता है, जो इन हानिकारक पदार्थो को शरीर से बाहर निकाल सकते है, जैसे फेफड़ें, त्वचा, किडनी और लीवर।

धमनी और शिरा के रक्त में अंतर

धमनी (arteries) के रक्त तथा शिरा (veins) के रक्तमें तीन पदार्थ – ऑक्सीजन, कार्बन डाय ऑक्साइड, और नाइट्रोजन – मौजूद रहते है, लेकिन उनकी मात्रा भिन्न भिन्न प्रमाणमेँ में रहती है। अर्थात् धमनीके रक्त में ऑक्सीजन अधिक रहता है और शिराके रक्तमें कार्बन डाय ऑक्साइड गैसकी मात्रा अधिक रहती है।

धमनीके रक्त में आक्सिजन काफी प्रमाणमें रहता है और शिरा में उसका एकदम अभाव हो जाता है। अर्थात रक्त, कोशिकाओं में ऑक्सीजन देता है, और कार्बन डाय ऑक्साइड गैस प्राप्त करता है।

शरीर का रक्त शुद्ध कैसे होता है?

केशिकाओंके बाद रक्त जिस समय शिराओं में आगे बढ़ता है तब वह थोड़ा नीले रंग का अशुद्ध दिखाई देता है। शरीरके प्रत्येक अंगसे यह रक्त इकटठा होकर दो महाशिराओं द्वारा ह्र्दय के दाहिने भाग में आता है।

फिर दिल रक्त को फेफड़ों में भेजता है। वहाँ अशुद्ध खून अपने विकार को बाहर जाने वाली हवा के साथ नाक के रास्ते बाहर भेज देता है और सांस के साथ आई हुई ऑक्सीजन से मिल कर फिर शुद्ध और लाल हो जाता है।

इस तरह शुद्ध होकर खून फिर दिल में आता है, और दिल से सारे शरीर में चक्कर लगाने के लिए भेजा जाता है।

यह संक्षेप में रक्त के चक्कर लगाने की कहानी है। इममें कोई सन्देह नहीं कि इस सारी क्रिया में दिल का बहुत बड़ा हाथ है।

दिल ( हृदय)

साधारण तौर से हम जानते है कि दिल बराबर धड़का करता है। धड़कन का मतलब है कि दिल रक्त को पम्प कर रहा है, अपने बाहर निकाल रहा है। दिल की धड़कन ही नाड़ी में गति पैदा करती है। दिल ही वह यन्त्र है जो रक्त को सारे शरीर में भेजता है।