- भुजंग अर्थात सांप।
- संस्कृत में, सांप को “भुजंग” कहा जाता है।
तो इस आसन को, भुजंगासन क्यों कहते है?
- इस आसन में शरीर का आकार, फन उठाए हुए सांप की तरह हो जाता है, इसलिए इस आसन को, भुजंगासन, सर्पासन या कोबरा पोज़ भी कहा जाता है।
- भुजंगासन में, पैरों के तलवों से लेकर नाभि तक का हिस्सा जमीन पर टीका होता है और कमर से सिर तक के हिस्से को पीठ की मांसपेशियों की मदद से, ऊपर उठाया जाता है।
- शरीर का उठा हुआ हिस्सा, एक फन उठाए हुए साँप के जैसा दिखता है; इसलिए, इस आसन को भुजंगासन कहते है।
सूर्यनमस्कार में भुजंगासन
- यह आसन सूर्यनमस्कार में, किए जाने वाले आसन का भी एक हिस्सा है।
भुजंगासन कैसे करें?
पेट के बल सोएं
- जमीन पर सतरंजी या योगा मैट बिछाएं।
- सबसे पहले पेट के बल सोएं अर्थात जमीन की ओर मुंह करके लेट जाएं।
- सिर को जमीन पर टिकाएं।
- दोनों पैरों को सीधा और एक-दूसरे के पास रखें।
पैरों की स्थिति
- अपने पैर की उंगलियों को तानें और, जमीन पर टीका दे।
- यदि हो सके तो, दोनों पैरों को जोड़ लें, अर्थात पैरों को इस प्रकार रखे की, दोनों पैर और एड़ी एक-दूसरे को धीरे से छूते हैं।
- पूरे शरीर को हल्का करें।
हथेलियों को जमीन पर रखें
- हाथों की हथेलियों को छाती के पास लाएं।
- हथेलियों को जमीन पर, छाती के दोनों बाजू में, कंधों के नीचे रखें।
शरीर के ऊपर के भाग को धीरे धीरे उठाएं
- फिर धीरे-धीरे दोनों हाथों के सहारे अर्थात शरीर के भार को, हाथों की हथेलियों पर रखकर नाभि से ऊपरी भाग को, सिर, छाती और पेट को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं।
- लेकिन अपनी नाभि को, जमीन पर ही टिकाएं रखें।
शरीर के नाभि से निचे के भाग को ना उठाएं
- नाभि से शरीर के निचले हिस्से को, बिलकुल भी ना खिसकाए।
- अपनी दोनों हथेलियों पर, वजन समान होना चाहिए।
- सुनिश्चित करें कि, पैर अभी भी सीधे हैं।
- यदि, पैरों की उंगलियां, पहले से जमीन पर नहीं टिकी है तो पैरों की उंगलियां को तानें और, जमीन पर टिका दे।
कुछ सेकंड तक आसन की स्थिति में रहें
- अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखते हुए, इस स्थिति में अपनी सांस रोकें और छह से आठ सेकंड तक उसी स्थिति में रहें।
याद रखें
- आसन की इस स्थिति में ज्यादा देर न रहे, और
- जितना सहन कर सकें, उतना ही पीठ मे तनाव दें।
आसन की इस स्थिति के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें
- इस आसन को करते समय,
- यह ध्यान रखे की,
- पीठ को बहुत ज्यादा पीछे ना मोड़े,
- अन्यथा इससे पीठ में,
- तनाव और खिंचाव पैदा हो जाएगा।
- अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार,
- इस आसन की अवधि को,
- कम ज्यादा कर सकते हैं।
छाती और सिर को धीरे धीरे निचे लाएं
- फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें और
- अपने पेट, छाती और सिर को,
- वापस अपनी पहले की स्थिति में लाएं अर्थात
- जमीन पर टिकाएं।
- थोड़ी देर रुकें,
- 8 से 10 सेकंड विश्राम करें।
- इस आसन को चार से छह बार करें।
याद रखें
- सभी क्रियाएं धीरे-धीरे की जानी चाहिए।
- अनावश्यक तनाव या झटके न दें।
- जितना सहन कर सकें,
- उतना ही पीठ को पीछे करे।
भुजंगासन के लाभ
गर्दन, पीठ, और कमर के लिए लाभ
- यह आसन गर्दन, पीठ, कमर और
- पेट के लिए एक अच्छा व्यायाम है।
- भुजंगासन से गर्दन, पीठ, कमर और
- रीढ़ की मांसपेशियां,
- मजबूत हो जाती है।
- यह आसन रीढ़ को अच्छा व्यायाम देता है,
- जिससे उसका लचीलापन बढ़ता है।
- पीठ और कंधे, मजबूत बनते है।
- इस आसन के नियमित अभ्यास से,
- पीठ के विकार दूर होते हैं।
- इससे कमर दर्द भी ठीक हो जाता है।
पेट और पाचन की समस्याओं में लाभ
- पेट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ने से,
- अपच और कब्ज जैसी तकलीफ़े ठीक हो जाती है।
- पेट की मांसपेशियां भी क्रियाशील हो जाती हैं और
- पेट दर्द का विकार गायब हो जाता है।
- इस आसन से पित्ताशय की गतिविधि बढ़ जाती है, और
- पाचन शक्ति बढ़ जाती है।
फेफड़े और श्वसन विकारों में लाभ
- इस आसन के नियमित अभ्यास से
- फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है।
- श्वसन से संबंधीत विकार वाले लोगों के लिए,
- भुजंगासन बहुत उपयोगी है।
- लेकिन याद रहे की,
- जब खांसी चल रही हो या
- खांसते समय इस आसन को ना करें।
थकान और तनाव दूर करता है
- रक्त परिसंचरण में सुधार करता है।
- थकान और तनाव को कम करता है।
- दिन भर उत्साह बना रहता है।
- छाती, कंधे, गर्दन और सिर मजबूत और सुदृढ़ हो जाते हैं।
- आत्मविश्वास बढ़ता है और अवसाद दूर होता है।
भुजंगासन का महिलाओं में लाभ
- इस आसन का नियमित अभ्यास महिलाओं के अंडाशय और
- गर्भाशय को क्रियाशील और स्वस्थ बनाता है।
- मासिक धर्म की शिकायतें दूर हो जाती हैं।
- इस आसन को करने से गर्भाशय में रक्त के उचित संचार में मदद मिलती है।
- यह स्वाभाविक रूप से और सहजता से प्रसव प्रक्रिया में मदद करता है।
पेट की चर्बी कम होती है
- भुजंगासन को नियमित रूप से करने से,
- पेट पर जमा हुई अतिरिक्त चर्बी कम हो जाती है,
- और
- शरीर का आकार सुडौल हो जाता है।
भुजंगासन का आध्यात्मिक लाभ
- इस आसन से आध्यात्मिक लाभ भी होता है,
- क्योंकि यह साधक को,
- कुंडलिनी शक्ति जागृत करने में मदद करता है।
भुजंगासन कब नहीं करना चाहिए
- गर्भावस्था के दौरान इस आसन को न करें।
- गंभीर गर्दन दर्द, पीठ दर्द, पेट दर्द, अल्सर, हर्निया, एपेंडिसाइटिस के मामले में भुजंगासन ना करें।
- यदि हाल ही में पेट की सर्जरी, जैसे कि हर्निया का ऑपरेशन या अन्य कोई पेट की सर्जरी हुई है तो भुजंगासन ना करें।
- कलाई में कार्पेल टनल सिंड्रोम की तकलीफ़ है, तो इस आसन को न करें।
- जिन लोगो को पीठ या रीढ़ की कोई पुरानी या गंभीर समस्या है तो उन्हें यह व्यायाम केवल एक डॉक्टर या विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
किसी भी बीमारी में याद रखे
- हालांकि, भुजंगासन,
- पीठ, गर्दन, छाती और पेट से संबन्धित कई बीमारियों से बचाता है,
- और उनमे लाभ पहुंचाता है,
- लेकिन,
- आसन दवा का विकल्प नहीं हो सकता है,
- इसलिए,
- किसी भी बीमारी में डॉक्टर से संपर्क करे और
- उनकी सलाह अनुसार उचित उपचार करे।
भुजंगासन – Bhujangasan – Summary
- भुजंगासन करने के कई फायदे है, इसलिए सामान्य स्थिति में किए जाने वाले आसनों में इसे अति उत्तम आसन माना गया है।
- भुजंगासन से मेरुदंड अर्थात रीढ़ में लचीलापन आता है और रीढ़ मजबूत बनती है, जिससे पीठ से संबंधित कई बीमारियां दूर हो जाती है। यह आसान पेट के कई रोगों को दूर कर, पाचनशक्ति और भूख को बढ़ाता है। पेट की चर्बी (fat) को कम करने के लिए भी भुजंगासन काफी प्रभावी है।
- यह योगासन सरल होने के कारण प्रत्येक आयु के स्त्री-पुरुष इसके नियमित अभ्यास से अनेक लाभ उठा सकते हैं।
भुजंगासन – Bhujangasan
भुजंगासन के इस आर्टिकल में हमने देखा –
- इस आसन को, भुजंगासन क्यों कहते है?
- भुजंगासन कैसे करें?
- भुजंगासन करते समय ध्यान रखने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें
- भुजंगासन कब नहीं करना चाहिए?
- ऐसी कौन सी परिस्थितयां है, जब भुजंगासन ना करें?
- भुजंगासन के लाभ
- गर्दन, कंधे, पीठ और कमर के लिए लाभ
- पेट से सम्बंधित तकलीफों में लाभ
- फेफड़े और रक्तसंचार पर असर
- थकान, तनाव में लाभ
- महिलाओं में भुजंगासन से लाभ
- किसी भी बीमारी में, इस आसन से सम्बंधित सबसे महत्वपूर्ण बात
- भुजंगासन सारांश