भोजन से संबंधित 15 महत्वपूर्ण बातें जो रखें शरीर को स्वस्थ और तंदरुस्त



कई लोग यह नहीं जानते कि गेहूं की रोटी, चावल किस लिए खाते हैं। आम, अंगूर, सेब, संतरा, आलू, मूली, उड़द, मूंग आदि के खाने से क्या लाभ है। वे लोग यह वस्तुएं खाते हैं, क्योंकि पहले से कई लोग खाते चले आ रहे हैं। अथवा इसलिए कि इनमें एक विशेष स्वाद है।

हम तनिक भी नहीं सोचते कि जो वस्तु हम पेट में डाल रहे हैं वह हमारे शरीर और स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव करेगी। हम अपने खाने पीने वाले पदार्थों के गुण से अपरिचित है। और परिचित होने का यत्न भी नहीं करते।

जैसा जी में आया और जिस वस्तु की इच्छा हुई खा लिया। गोभी के दिन आए तो सुबह शाम गोभी और गर्मी के दिन आए तो दिन में 5 – 6 गिलास बर्फ डालकर शरबत पी गए। चाहे बादी, सर्दी, नस नस में घुसी हो और दर्द के मारे कमर सीधी ना होती हो।

एक मनुष्य कहता है, कुछ दिनों से मुझे कब्ज रहती है, इसलिए मैंने दो तीन दिन से रोटी खाना छोड़ दिया है। केवल हल्का भोजन, दही चावल खाता हूं। किंतु लाभ के स्थान में कब्ज और बढ़ गई है। यह तो डॉक्टर दस्त के रोगी को कब्ज होने के लिए देते हैं, और यह मनुष्य इससे कब्ज दूर करना चाहता है।

ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोग उल्टे काम करते हैं और जानबूझकर बीमारी मोल लेते हैं। वे नहीं जानते कि कौन सा भोजन उनके अनुकूल है और कौन सा प्रतिकूल।

चटपटी चीजें

चूर्ण और चटपटी चीजों का उपयोग बढ़ गया है। कई लोग गोलगप्पे, इमली की चाट, भल्ले-पकौड़ी एक जगह बैठ कर खा जाते हैं। ऐसी चीजें हाजमा को खराब करती है, रक्त को बिगाड़ती है और शरीर कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कई लोगों की निर्बलता, रोग और जल्दी बुढ़ापा बहुत सीमा तक खाने-पीने की खराबी के कारण ही है।

ना करें ये भूल

स्वास्थ्य रसोई घर में ही बनता या बिगड़ता है। यह अनेक प्रकार से होता है।

  • गरिष्ठ और भारी भोजन करना,
  • हर समय कुछ ना कुछ खाते रहना,
  • शरीर को सहन ना होने वाला अर्थात प्रतिकूल भोजन करना,
  • आपस में विरुद्ध गुणों वाले भोजन करना अर्थात अनमेल भोजन करना,
  • अनेक प्रकार की वस्तुएं एक ही समय खाना,
  • गुणकारी वस्तु समझकर उसे अधिक मात्रा में खा जाना

भोजन से संबंधित ये भूले स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। इन भूलों से बचे रहना और साधारण हल्का भोजन करना, स्वास्थ्य सुधार का कारण होता है। इसलिए भोजन की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

खाने की वस्तुएं कैसी हो?

भोजन के बारे में सावधानियां लोगों को पता रहती है, लेकिन फिर भी बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो इन्हें साधारण बातें समझ कर इनकी ओर ध्यान नहीं देते, और अंत में पेट, लिवर और बाद में शरीर की अन्य बीमारियों में फंस जाते हैं।

हमारे भोजन का सबसे आवश्यक अंग है गेहूं, चावल, दाल, दूध और सब्जियां। लेकिन आज के समय में खेतों में कई प्रकार के केमिकल्स के उपयोग के कारण, इन सभी चीजों में खराबी आ गई है। और इन खराबी के कारण स्वास्थ्य दिनों दिन गिरता जाता है।

गेहूं का सबसे पौष्टिक अंश गेहूं के दाने की ऊपरी पर्त में होता है। आटा पीसने के बड़े बड़े कारखानों में, जिनमें आटा, मैदा, सूजी की हजारों बोरियां रोज तैयार होती है, उनमें पीसने की ऐसी मशीनें हैं, जिनमें गेहूं के प्रत्येक दाने का ऊपर का भाग उतर जाता है और उसका चोकर बन जाता है।

गेहूं की वही ऊपर की परत तो मुख्य वस्तु है, नीचे का सफेद भाग इतना गुणकारी नहीं है। नीचे के सफेद भाग में तो भूसे से थोड़े से ही अधिक गुण हैं।

हम जिस बात को अच्छा समझते हैं कि, आटा सफेद हो, सफेद हो उसका यह परिणाम है। इसलिए आटा चक्की, खरास (घराट) और आटे की छोटी मशीनें उत्तम है।

चावल का भी पौष्टिक अंश ऊपर की परत में होता है। मशीनों में छिले हुए चावल बहुत सुंदर दिखाई देते हैं, किंतु उनकी आत्मा मर चुकी होती है। हाथ-कुटे धानों से जो चावल निकलता है, वह सबसे उत्तम है। गांव में पहले ऐसे ही चावल खाए जाते थे, किंतु वहां भी आजकल मशीनें ही लग गई है।

दालों के भी ऊपरी छिलकों और पर्तों में पौष्टिकता है। किंतु आजकल जीभ के स्वाद के कारण, धुलि दालों का प्रयोग बहुत बढ़ गया है। इसलिए समझदारी इसी में है कि यदि शरीर को स्वस्थ रखना है और बीमारियों से बचे रहना है तो, इन चीजों से बचना चाहिए।

दूध को एक उबाल देना स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी है। अधिक उबला हुआ और बाजारों में सवेरे से शाम तक कढ़ाई में औटता हुआ गाड़ा हुआ दूध, लाभ की अपेक्षा हानि अधिक पहुंचाता है।

सब्जियां उबली हुई अथवा बहुत थोड़ा तेल या घी डालकर पकाई हुई सर्वोत्तम रहती है। अधिक तेल या घी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह कहां की बुद्धिमानी है कि, सब्जियों में बहुत तेल या घी डालकर पैसे खर्च करो और स्वास्थ्य बढ़ने की स्थान में घटने लगे।

खाने से संबंधित 15 महत्वपूर्ण बातें

भोजन से संबंधित 15 बातें निचे दी गयी है, जिनकी सहायता से आप अपने शरीर को स्वस्थ और तंदरुस्त रख सकते है।

भोजन का समय

सदा नियत समय पर ही भोजन करें।

भोजन अच्छा चबाकर खाएं

खूब चबा चबाकर खाएं, दातों का काम पेट की आंतों पर ना डालें। पेट और आंतों में तो दांत नहीं होते हैं इसलिए खूब चबा चबाकर मुंह में ही पहले ही भोजन को बारीक कर ले।

थोड़ा पेट खाली रखें

थोड़ी भूख बाकी रहे, तभी खाने से हाथ खींच ले। कम खाने वाले कभी संकट में नहीं पड़ते। अधिक खाने वाले ही सदा संकट में पढ़ते हैं।

भोजन के तुरंत बाद परिश्रम ना करें

जब तक भोजन भली-भांति पच ना जाए, किसी प्रकार का कठिन शारीरिक परिश्रम अथवा व्यायाम ना करें।

भोजन के तुरंत बाद पढ़ाई

भोजन खाकर कम से कम आधा घंटा बाद पढ़ाई लिखाई करनी चाहिए, अन्यथा पाचक प्रणाली और मस्तिष्क दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

बाई करवट लेटना

भोजन करने के बाद यदि लेटना हो तो आधा घंटा बाई करवट पर लेट कर विश्राम करना चाहिए।

रात को भोजन के बाद थोड़ा टहलें

रात को भोजन करने के तुरंत बाद नहीं सोना चाहिए। कम से कम 1 घंटे के बाद सोए। रात को खाना खाने के बाद थोड़ा टहलना चाहिए।

दुर्बल और रोगीयों के लिए

दुर्बल और रोगी मनुष्य को यदि भूख लगी हो तो खाना खाने में देरी नहीं करनी चाहिए, अन्यथा और भी दुर्बलता बढ़ जाएगी, सिर में पीड़ा होगी और पाचन शक्ति ठीक नहीं रहेगी। जिस प्रकार इंधन के बिना थोड़ी आग बुझ जाती है उसी प्रकार भोजन के बिना दुर्बल और रोगी मनुष्य की जठराग्नि बुझ जाती है।

उपवास और व्यायाम

मोटे पेट वाले यदि भूख रोकें और उपवास करें तो बिना किसी औषधि के पतले हो सकते हैं। साथ में व्यायाम आवश्यक है।

भोजन के बाद फल

खाने के बाद कुछ फल खाना अच्छा रहता है, किंतु इसका इतना अधिक महत्व नहीं है। सेब, अंगूर या फिर गन्ना, गंडेरी, खरबूजा आदि चीजें लाभकारी है।

भारी भोजन की वस्तुओं से बचें

बारीक मैदे से बनी वस्तुएं, मावे और खोए की मिठाइयां और घी में तले पकवान, तेल के पकोड़े, उड़द की दाल, मांस की बोटी आदि भारी भोजन है और बहुत देर में पचते हैं। इसलिए, इनसे बचना चाहिए।

सब्जियां बनाते समय तेल या घी का ज्यादा इस्तेमाल ना करें।

बर्फ और चाय – स्वास्थ के शत्रु

चाय और बर्फ स्वास्थ्य के शत्रु है। बहुत सर्दी के समय वादी और बलगम के स्वभाव वाले औषधि के रूप में कभी-कभी चाय पी सकते हैं। बहुत थकावट में भी ऐसे व्यक्ति चाय से लाभ उठा सकते हैं। किंतु इसका नित्य सेवन पेट और रक्त की रोग नाशक शक्ति को काफी नुकसान पहुँचता है। कफ प्रकृति वाले कभी कभी चाय पी सकते हैं, जैसे कि पहाड़ पर या सर्दी के महीने में या औषधि के रूप में। पित्त या वात पित्त प्रकृति में चाय अत्यंत हानिकारक है।

बर्फ से दांत, मसूड़े, गला, पेट और शरीर के तापमान पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बर्फ का लाभ कुछ मिनटों के लिए ही जान पड़ता है, परंतु शीघ्र ही उसका उलट प्रभाव होने लगता है, अर्थात शीघ्र ही फिर बड़े जोर से प्यास लगती है।

तम्बाखू और शराब – शरीर के शत्रु

तंबाकू और शराब मनुष्य के मन और मस्तिष्क में एक प्रकार का विष उत्पन्न कर देते हैं। इसलिए तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट और शराब से बचना चाहिए।

तंबाकू शराब की अपेक्षा कहीं अधिक हानिकारक है , किंतु इसका प्रभाव धीरे-धीरे होता है, इसलिए शुरुआत में लोगों को इसे पता नहीं चलता है। किंतु बाद में तंबाकू शरीर को ऐसा बना देता है कि स्वास्थ्य का सत्यानाश हो जाता है और शरीर को कई प्रकार के रोग हो जाते हैं। इसलिए इससे बचना अत्यंत आवश्यक है।