Diabetes – डायबिटीज के प्रकार


  • इस आर्टिकल में,
  • डायबिटीज के प्रकार के बारे में दिया गया है।
  • डायबिटीज के बारे में,
  • संपूर्ण जानकारी के लिए,
  • उसके लक्षण, निदान, उपचार और
  • बचाव के लिए डायबिटीज के मुख्य पेज को देखें –

डायबिटीज – मधुमेह – Diabetes


डायबिटीज के प्रकार क्या है?

Types of Diabetes

  • डायबिटीज में या तो इंसुलिन की कमी हो जाती है या फिर,
  • शरीर में इंसुलिन रहता है,
  • किंतु शरीर की कोशिकाएं,
  • उसका उपयोग नहीं कर पाती है।
  • जिसकी वजह से,
  • रक्त में शुगर की लेवल बढ़ जाती है।
  • रक्त में बढ़ी हुई शुगर,
  • शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को,
  • जैसे कि ह्रदय, किडनी, आंखें आदि को,
  • नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती है।
  • जिससे शरीर में,
  • कई प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं,
  • उत्पन्न हो जाती है।

मधुमेह के प्रकार

डायबिटीज के तीन मुख्य प्रकार है –

  1. टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes)
  2. टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) और
  3. जेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes)

Type 1 diabetes – टाइप 1 डायबिटीज

Type 1 diabetes (टाइप वन डायबिटीज) को Insulin dependent diabetes mellitus या IDDM भी कहा जाता है। ये अक्सर छोटे बच्चो में एवं युवाओं में पाया जाता है।

  • Insulin dependent diabetes mellitus या IDDM – इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलाइटस, इंसुलिन आश्रित मधुमेह, आई. डी. डी. एम.

Type 1 diabetes में pancreas insulin हार्मोन नहीं बना पाता है। इन्सुलिन की कमी के कारण blood sugar (खून में स्थित ग्लूकोज)  शरीर की cells (कोशिकाओं) में नहीं पहुँच पाता है। कोशिकाओं में पर्याप्त उर्जा का उत्पादन नहीं हो पता है।

Type 1 diabetes में blood sugar level (रक्त में ग्लूकोज का स्तर) सामान्य रखने के लिए रोगी को नियमित रूप से insulin का इंजेक्शन लेना पड़ता हैं। जिन लोगो में टाइप 1 डायबिटीज पाया जाता है उनमे खासकर बच्चों और युवाओं का समावेश होता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है।


Type 2 diabetes – टाइप 2 डायबिटीज

Type 2 diabetes (टाइप टू डायबिटीज) को Non-insulin dependent diabetes mellitus या NIDDM भी कहा जाता है. ये अक्सर वयस्कों में पाया जाता है।

  • Non-insulin dependent diabetes mellitus या NIDDM – नॉन इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलाइटस, इंसुलिन अनाश्रित मधुमेह, एन. आई. डी. डी. एम.

टाइप २ diabetes की स्तिथि में शरीर insulin का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं कर पाता है अथवा insulin का पूरी तरह से उपयोग नहीं हो पाता है।

सेवन किये गए भोजन को शरीर एक प्रकार की शक्कर में परिवर्तित करता है, जिसे glucose (ग्लुकोज) कहा जाता है।

Insulin खून में बने शक्कर को शरीर की कोशिकाओं के भीतर ले जाने में मदद करता है।

लेकिन जब इस शक्कर को कोशिकाओं तक ले जाने के लिए insulin की मात्रा कम पड़ जाती है, तब खून में बसे शक्कर की मात्रा बढ़ जाती है। जब शक्कर की मात्रा बढ़ जाती है, तब डायबिटीज हो जाता है।

टाइप २ डायबिटीज ख़ास तौर पर वयस्क लोगों में पाया जाता है। लेकिन आजकल टाइप २ डायबिटीज कि संख्या बच्चों में और युवाओं में भी बढ़ रही है।

स्वस्थ भोजन सही मात्र में खाने से और शरीर को चुस्त रखने से आप खून में बन रही शक्कर की मात्रा को निचले स्तर पर रख सकते है

टाइप २ डायबिटीज से पीड़ित बहुत से लोग डायबिटीज की गोलियां लेते है जबकि कई लोग इन्सुलिन का इस्तेमाल करते है।

डायबिटीज या मधुमेह से रोगमुक्त नहीं हुआ जा सकता है। परन्तु इसे नियंत्रित जरूर किया जा सकता है।


gestational diabetes (जेस्टेशनल डायबिटीज)

Diabetes का तीसरा प्रकार है gestational diabetes (जेस्टेशनल डायबिटीज)। यह गर्भावस्था के किसी भी चरण में हो सकता है। Gestational diabetes उन महिलाओं में भी पाया जाता है, जिन्हें पहले कभी डायबिटीज नहीं था।