Bypass Surgery – CABS – बाइपास सर्जरी – हृदय बाईपास


बाइपास सर्जरी – Bypass Surgery – हृदय बाईपास – CABS

कोरोनरी धमनी बाइपास सर्जरी को बाइपास सर्जरी या ओपन हार्ट सर्जरी भी कहते है। यह हृदय मे अवरुद्ध रक्तवाहिकाओं (blocked blood vessel) को बाइपास करके रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिए की जाती है।

बाइपास सर्जरी – CABS – Coronary Artery Bypass Surgery

कोरोनरी धमनियाँ (coronary arteries) वे रक्तवाहिकाएं होती है जो हृदय की मासपेशियो को ऑक्सीजन और पोशक तत्व पहुंचाती है।

बाइपास सर्जरी के दौरान पैर, भुजा या छाती से रक्तवाहिका का एक अंश, जिसे ग्राफ्ट कहा जाता है, निकाला जाता है और इसे महाधमनी और हृदय की अवरुद्ध रक्त वाहिका के दोनो तरफ लगाया जाता है।

अवरुद्ध रक्तवाहिका मौजूद रहती है, लेकिन रक्त इसके आसपास नई रक्तवाहिकाओं मे प्रवाहित किया जाता है।

यदि कई वाहिकाएं अवरुद्ध हो, तो रोगी का एक से अधिक बाइपास किया जा सकता है।

इस सर्जरी मे 4 से 6 घंटे लगते है।

सर्जरी के बाद रोगी को परिवार से मिलने से पहले उसे कम से कम 2 घंटे तक रिकवरी रूम मे रखा जाता है।

रोगी को अस्पताल मे 4 से 6 दिन तक रखा जाता है।


घर पर तैयारी के लिए

सर्जरी से पहले के परीक्षण जैसे छाती का एक्स-रे, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी या ईकेजी) और रक्त जांच की जा सकती है।

सर्जरी से कम से कम 48 घंटे पहले धूम्रपान बंद कर दें।

रोगी को गहरी साँस लेना और खाँसना सिखाया जाता है। सर्जरी से पहले इसका अभ्यास करें।

सर्जरी से पहले मध्यरात्रि के बाद कुछ न खाएं और पानी सहित कुछ न पिएं।


सर्जरी से पहले

रोगी को अस्पताल का गाउन पहनाया जाता है।
आराम दिलाने के लिए दवाई दी जाती है।
रोगी की बाजू की नस मे एक आइवी (IV या अन्तःशिरा) लगाया जाता है।


सर्जरी के दौरान

रोगी को सुलाने के लिए दवाई दी जाती है।

एक साँस नली मुंह मे डाली जाती है। यह ट्‌यूब एक मशीन मे जोडी जाती है, जो सर्जरी के दौरान रोगी को साँस लेने मे मदद करती है।

डॉक्टर रोगी की छाती के मध्य मे एक छेद बनाते है। छाती की हड्‌डी काटी जाती है और हृदय देखने के लिए पसलियाँ खोली जाति है।

सर्जरी के दौरान एक मशीन रोगी के शरीर मे रक्त प्रवाह करती है।

रोगी के पैर, बाजू और छाती से ग्राफ्ट नामक रक्तनली निकाली जाती है।

ग्राफ्ट का एक सिरा अवरोध के ऊपर रक्तनली के साथ सिला जाता है। दूसरा सिरा अवरोध के नीचे रक्तनली के साथ सिला जाता है।

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रोगी की छाती की हड्डी को वापस तार से आपस मे जोड दिया जाता है। चीरो को टांको और स्टेपल से बंद कर दिया जाता है।


सर्जरी के बाद

12 से 24 घटो के लिए रोगी को गहन चिकित्सा इकाई मे ले जाया जाता है, जहां उसे

  • कुछ घटो के लिए एक साँस की नली लगाई जाती है
  • रोगीके हृदय के आसपास के द्रव के निकास के लिए टयूबे लगाई जाती है
  • मूत्र निकासी के लिए ब्लैडर मे एक कैथीटर लगाया जाता है
  • द्रव और दवाइयाँ देने के लिए आइवी (IV) लगाई जाती है
  • ये ट्‌यूबे सर्जरी के 1 से 2 दिन बाद हटा ली जाती है
  • नर्सिग स्टाफ बारबार रोगी की जाँच करता है
  • फिर उसे अस्पताल के कमरे मे भेजा जाता है।

रोगी को कुछ दिनो तक ऑक्सीजन और हृदय मॉनीटर लगाया जा सकता है।

यह महत्त्वपूर्ण है कि जब आप जाग रहे हो, तब आप हर घंटे गहरी साँस ले और खांसे। स्टाफ शरू मे आपको उठने और चलने मे मदद करेंगा। आपको घर पर स्वयं अपनी देखभाल करना सिखाया जाएगा।


घर पर आपकी देखभाल

बेहतर महसूस करने मे आमतौर पर 4 से 6 सप्ताह लगते है।

आपको पीडा और दर्द हो सकता है जिससे आपकी भूख, नीद और गतिविधियाँ प्रभावित होती है।

गतिविधियो के बीच विश्राम करें।

उदास या तनाव महसूस करना सामान्य बात है। अगले कुछ सप्ताहो मे यह बेहतर हो जाना चाहिए। यदि आप बदतर महसूस करें या यह 2 सप्ताह से अधिक बरकरार रहे तो अपने डॉक्टर से बात करें।

तब तक वाहन न चलाएं या काम पर न जाएं जब तक आपका डॉक्टर न बताए कि ऐसा करना सुरक्षित है।


घाव भरने मे मदद के लिए:

सर्जरी के पहले 6 सप्ताह के दौरान अपनी छाती की हड्‌डी के घाव भरने मे मदद के लिए:

10 पौंड या 4.5 किलो से अधिक वजन न उठाए।

जब लोग आपको चलने मे मदद करें तो उन्हे अपनी बाजू खींचने या धकेलने न दे।

पीछे की ओर या सिर के ऊपर हाथ न उठाएं।

बिस्तर या कुर्सी से उठते या बैठते समय अपनी बाजू बगल के पास रखें।

जब आप छाती की हड्डी मे खिंचाव महसूस करें तो कोई गतिविधि न करें।

थका देने वाली क्रिया जैसे वैक्यूमिंग या बागवानी से तब तक बचे जब तक आपके डॉक्टर इसे सुरक्षित न कहे।

आप जूते के फीते बाधने जैसे कामो के लिए आगे की ओर झुक सकते है।

आप खाना पकाने या झाडपोछ करने जैसे हलके घरेलू कामकाज कर सकते है।


तुरंत अपने डॉक्टर को फोन करें यदि:

  • आपके चीरे मे सूजन हो या यह खुल जाएं
  • आपके स्राव में बढोतरी हो
  • आपको बुखार या कपकपी हो

अवरोध की रोकथाम मे मदद के लिए:

  • धुम्रपान न करें।
  • स्वस्थ भोजन खाएं।
  • प्रतिदिन व्यायाम करें।
  • अपनी दवाइयाँ आदेशानुसार लें।
  • मधुमेह, उच्च रक्तचाप या उच्च कोलेस्ट्रॉल का इलाज कराएं।

यदि आपको कोई प्रश्न या चिंता हो, तो अपने डॉक्टर से बात करें।

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